संदेश

नवंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा-लोकाधिष्ठान श्रीराम

चित्र
समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा-लोकाधिष्ठान श्रीराम  समान अधिकार के प्रणेता लोक अधिष्ठान श्रीराम ने वन में भरत से कुशलक्षेम जानने के पश्चात अयोध्या के कर्मचारियों का सही ध्यान देने के विषय में उपदेश प्रदान किया। कालातिक्रमणाच्चैव     भक्तवेतनयोर्भृताः। भर्तुकुप्यन्ति दुष्यन्ति सोऽर्न: सुमहान्स्मृतः।।   अर्थात्- भोजन और वेतन समय पर न मिलने से नौकर मालिक की निंदा करते हैं, कर्मचारियों का ऐसा करना, एक बड़े अनर्थ की बात है।  शासक वर्ग द्वारा श्रमिक वर्ग के प्रति अवहेलना राज्य के पतन का कारण बनती है। लोक में व्यवस्था स्थापित करना शासन स्तर की जिम्मेदारी बनती है। शासक और श्रमिक वर्ग एक दूसरे के पूरक बन कर रहते हैं तब ही राष्ट्र का उत्थान होता है। जब इनके बीच समन्वय स्थापित नहीं होता है तब राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता है। शासक वर्ग श्रमिक वर्ग का शोषण करने में तत्पर रहे और श्रमिक वर्ग कामचोरी में संलग्न रहे, ऐसी स्थिति में राष्ट्र प्रगति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। दोनों एक दूसरे के प्रति संजीदा रहें और एक राष्ट्र परिवार का भाव रखें, तभी राष्ट्र सुरक्षित है।...

समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा-सर्वोपकारी श्रीराम

चित्र
समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा-सर्वोपकारी श्रीराम   रामायण में श्रीराम द्वारा मित्र-शत्रु की परिभाषा बताई गई है-  "उपकारफलं मित्रमपकरोऽरिलक्षणम्"   अर्थात्- उपकार ही मित्रता का फल है और अपकार शत्रुता का लक्षण है।  सभ्य समाज ही सच्चा मित्र है, जिसके अभिवर्धन में ही हमारे अस्तित्व का अभिवर्धन छिपा हुआ है। भविष्य की सुरक्षा बीमा कंपनी के हाथ में नहीं है, न कोठी बनाने में, न अकूत संपत्ति जायजाद आदि इकट्ठा करने में है। हम सबकी सुरक्षा एकमात्र सज्जनों के समूह में ही है।  श्रीराम चरित्र सभ्य समाज की स्थापना हेतु समग्र शिक्षाओं से परिपूर्ण है, जिन परिवारों एवं ग्रामों में आज भी नित्य श्रीरामचरितमानस से शिक्षा ग्रहण की जाती है, उनका जीवन शांति एवं आपसी सहयोग प्राप्त करके नैतिकतापूर्वक व्यतीत हो जाता है। हम सब के द्वारा भ्रष्ट आचरण का विरोध करना ही समग्र नैतिक क्रान्ति होगी। सर्वोपकरी श्रीराम ने विश्वद्रोही रावण को मारकर सच्चे अर्थों में विश्वमित्र के रूप में अमर इतिहास बनाया है। मैत्री आत्मा का नैसर्गिक स्वभाव है। इसलिए सच्चे मित्र के अभाव में प्रत्येक व्य...