समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा-लोकाधिष्ठान श्रीराम
समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा-लोकाधिष्ठान श्रीराम समान अधिकार के प्रणेता लोक अधिष्ठान श्रीराम ने वन में भरत से कुशलक्षेम जानने के पश्चात अयोध्या के कर्मचारियों का सही ध्यान देने के विषय में उपदेश प्रदान किया। कालातिक्रमणाच्चैव भक्तवेतनयोर्भृताः। भर्तुकुप्यन्ति दुष्यन्ति सोऽर्न: सुमहान्स्मृतः।। अर्थात्- भोजन और वेतन समय पर न मिलने से नौकर मालिक की निंदा करते हैं, कर्मचारियों का ऐसा करना, एक बड़े अनर्थ की बात है। शासक वर्ग द्वारा श्रमिक वर्ग के प्रति अवहेलना राज्य के पतन का कारण बनती है। लोक में व्यवस्था स्थापित करना शासन स्तर की जिम्मेदारी बनती है। शासक और श्रमिक वर्ग एक दूसरे के पूरक बन कर रहते हैं तब ही राष्ट्र का उत्थान होता है। जब इनके बीच समन्वय स्थापित नहीं होता है तब राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता है। शासक वर्ग श्रमिक वर्ग का शोषण करने में तत्पर रहे और श्रमिक वर्ग कामचोरी में संलग्न रहे, ऐसी स्थिति में राष्ट्र प्रगति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। दोनों एक दूसरे के प्रति संजीदा रहें और एक राष्ट्र परिवार का भाव रखें, तभी राष्ट्र सुरक्षित है।...