अखण्ड चारित्रिक बल के पुरोधा श्रीराम


बौद्धिकता से हमें श्रेष्ठ जीवन का मार्ग प्रतिलक्षित होता है और नैतिक आचरण से श्रेष्ठ जीवन के मार्ग का गमन होता है, जिसके आधार पर ही महान चरित्र विनिर्मित हो पाता है अन्यथा महज़ वाग्विलासिता से आज तक किसी का भला हुआ है?
संस्कृत भाषा की 'चर धातु' से चरित्र शब्द बना है, संस्कृत व्याकरण के अनुसार चर धातु से भाव में इत्र प्रत्यय हुआ जिसका विग्रह है 'आचरणं चरित्रम्' अर्थात् आचरण ही चरित्र है।
राष्ट्रीय चरित्र उन्नयन के लिए एक उज्जवल चरित्रवान आदर्श की आवश्यकता होती है। राष्ट्रादर्श श्रीराम ने अपने जीवन काल में जीवन के समग्र सोपानों पर रहते हुए समग्र नैतिक क्रान्ति का शंखनाद किया है, जिसकी अमर कीर्ति समूची धरती पर लाखों वर्षों के पश्चात भी गूंज रही हैं। संपूर्ण भारतीय समाज युगों से पीढ़ी दर पीढ़ी सांस्कृतिक चेतना के उन्नायक राष्ट्रादर्श श्रीराम का जन्म महोत्सव (चैत्र शुक्ल नवमी) बड़े ही हर्ष एवं उत्साह के साथ मनाता आ रहा है एवं चरित्र निर्माण हेतु अपना चिर आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को ही  मानता है। यही कारण रहा, जो भारतीय समाज को हजारों वर्षों की गुलामी एवं आक्रमणों के पश्चात भी अपनी चरित्रनिष्ठा के कारण विश्व इतिहास में जीवंत रहने का गौरव प्राप्त हो रहा है।
संचार युग में मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर एवं टेलीविजन के माध्यम से पश्चिमी उन्मुक्त जीवन शैली का सीधा प्रसारण प्राप्त हो रहा है, जिनके भावी दुष्परिणामों से अनभिज्ञ रहकर गैर गंभीरता की दशा में हमारे राष्ट्र के युवक-युवतियां राष्ट्र की जीवन शैली से पलायन कर बड़े भारी कुचक्र में फंस रहे हैं।
हमारे राष्ट्र का दुर्भाग्य कहा जाए कि वह अभी तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को संवैधानिक तौर पर 'राष्ट्रीय चरित्र' घोषित नहीं कर पाया अगर ऐसा कर पाता तब निश्चित रूप से हमारे राष्ट्र के युवक-युवतियों ने अपना आदर्श (आइकन) विदेशी पश्चात्य संस्कृति प्रचारकों को न माना होता, न उनके जीवन में 'लिव इन रिलेशनशिप' जैसे प्रयोग होते न ही 'संबंध विच्छेद' जैसी प्रवंचना में फंसकर अपनी भावी पीढ़ी का भविष्य गर्त में डाला होता।
इन सब समस्याओं का निदान करने हेतु भारत राष्ट्र को अखंड चारित्रिक बल के पुरोधा श्रीराम को 'राष्ट्रीय संचेतना' के रूप में आत्मसात करना होगा। भारतीय समाज अपने प्राणों से भी बढ़कर चरित्रवादिता को स्थान देता आया है, सच तो यही है कि चरित्रवादिता के कारण ही समूचे विश्व में चिर नूतन भारतीय संस्कृति बनी।
विश्व के मूर्धन्य मनीषियों एवं विद्वानों द्वारा 'सर्वोत्कृष्ट आदर्श दाम्पत्य जीवन शैली' जिसकी नींव चरित्रवादिता  के संकुल पर टिकी है, उसे समूचे विश्व को उत्कृष्ट मानवीय गरिमा प्राप्त करने हेतु भारतवर्ष से अनुकरण करने का परामर्श दिया जाता है। पति और पत्नी के सफल दाम्पत्य जीवन से ही उत्कृष्ट संतानें जन्मती हैं और ये ही उत्कृष्ट समाज की नींव होती हैं।
वर्तमान काल में पाश्चात्य जीवन शैली के अतिक्रमण से भारतवर्ष के महान नैतिक मूल्यों का ह्रास स्पष्ट तौर पर देखा जा रहा है। जिसके कारण भारतवर्ष की 'आदर्श दाम्पत्य जीवन शैली' चरित्रनिष्ठा के संकुल से डगमग होकर दैहिक तृप्ति के भंवर में फंसती नजर आ रही है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है। इस ओर सभी राष्ट्र उत्थान में संलग्न बुद्धिजीवियों का ध्यान आकर्षित हो, ऐसा निवेदन करता हूं, जिससे चरित्रहीनता के कारण राष्ट्र के नैतिक वातावरण का क्षय होने से रोका जा सके एवं अनैतिक (फूहड़, असामाजिक) क्रियाकलापों पर अंकुश लग सके।
भारतीय समाज पीढ़ियों से अखंड चारित्रिक बल के पुरोधा श्रीराम का उपासक रहा है, इस कारण अदम्य शौर्यवान नरकेसरी श्रीराम भारतीय समाज की आत्मा में उतरे हुए हैं। मानवीय रिश्तों के सर्वोत्कृष्ट आदर्श श्रीराम जहां की संस्कृति के प्राण होते आए हो, वहां का समाज चरित्रहीनता रूपी दावानल से समूचे सभ्य समाज को किन्हीं भी हालातों में निष्प्राण होता हुआ नहीं देख सकता है।
 चरित्र निर्माण प्रेमी राष्ट्र बंधुओं की यही उद्घोषणा समूचे भारतवर्ष में समग्र नैतिक क्रांति का शंखनाद 'राष्ट्रीय चरित्र दिवस' के आगाज के रूप में करेगी। किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपदा वहां के नागरिक होते हैं, राष्ट्र वासियों के चरित्र उत्थान एवं युवा पीढ़ी को महान जीवन मूल्यों से अवगत कराने हेतु राष्ट्रीय चरित्र दिवस (नेशनल कैरेक्टर डे) के शुभारंभ की अनिवार्यता समूचे सभ्य समाज द्वारा निरंतर महसूस की जा रही है।
निसंदेह श्रीराम चरित्र सर्वानुकरणीय है जिसमें महान मानव निर्माण के सूत्र निहित हैं। श्रीराम चरित्र की महान शिक्षाएं जीवन में समग्र नैतिक क्रांति का शंखनाद करके ही रहती हैं।
समग्र नैतिक क्रांति अर्थात् उच्चतर जीवन निर्माण की श्रेष्ठ परिभाषाओं का ज्ञान, श्रेष्ठ परिभाषाओं के अनुसार नैतिक आचरण प्रस्तुत करने वाले महान आदर्श पात्रों का गठन एवं श्रेष्ठ विचारों और नैतिक आस्थाओं के आधार पर श्रेष्ठ समाज की संरचना।
समूचे विश्व में चरित्रवान राष्ट्र के रूप में प्रख्यात हमारा भारतवर्ष अखंड चारित्रिक बल के पुरोधा श्रीराम को राष्ट्रीय संचेतना की त्रिस्तरीय उदघोषणाओं से राष्ट्र वासियों का तेज जागृत करे।
 समग्र नैतिक क्रान्ति-राष्ट्रीय संचेतना की त्रि-स्तरीय उदघोषणा-
१. राष्ट्रीय चरित्र-मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम (समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा)
 २. राष्ट्रीय चरित्र दिवस-श्रीराम नवमी (समग्र नैतिक क्रान्ति का शंखनाद) 
३. राष्ट्रीय आदर्श शासन प्रणाली-श्रीराम राज्य (विश्व का सर्वोत्कृष्ट शासनकाल) 
हमें महान भारत की गाथा लिखने के लिए राष्ट्रीय संचेतना की त्रि-स्तरीय उद्घोषणाओं को जन-गण-मन की चिर अभिलाषा बनाना ही होगा। 
✍️अमित निरंजन 
लेखक-समग्र नैतिक क्रान्ति द्रष्टा राष्ट्रादर्श श्रीराम 
उन्नायक - श्रीराम नवमी राष्ट्रीय चरित्र दिवस अभियान 
samagranaitikkranti@gmail.com 

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